इस ईश्वरीय प्रयोजन पर विश्वास करिए आत्मा की प्रगतिशीलता पर भरोसा करिए आप सतोगुणी हैं उन्नतिशील हैं सफलता के अधिकारी हैं, विजय यात्रा के लिए निर्वाध गति से आगे बढ़ रहे हैं।
आइए अब एक पेचीदा प्रश्न पर कुछ विचार-विमर्श करें। कई व्यक्तियों में साधारण योग्यताएँ होते भी उनकी कीर्ति बहुत विस्तृत होती है और कईयों में अधिक योग्यता होते हुए भी उन्हें कोई नहीं पूछता,कोई दुर्गुणी होते हुए भी श्रेष्ठ समझे जाते हैं, कोई सद्गुणी होते हुए भी बदनाम हो जाते हैं, आपने विचार किया कि इस अटपटे परिणाम का क्या कारण है? शायद आप यह कहें कि-‘ ‘ दुनियाँ मूर्ख है, उसे भले-बुरे की परख नहीं ” तो आपका कहना न्याय संगत न होगा क्योंकि अधिकांश मामलों में उसके निर्णय ठीक होते हैं। आमतौर से भलों के प्रति भलाई और बुरों के प्रति बुराई ही फैलती है, ऐसे अटपटे निर्णय तो कभी-कभी ही होते हैं।
कारण यह कि वही वस्तुएँ चमकती हैं जो प्रकाश में आती हैं। सामने वाला भाग ही दृष्टिगोचर होता है। जो चीजें रोशनी में खुली रखी हैं वे साफ-साफ दिखाई देती हैं, हर कोई उनके अस्तित्व पर विश्वास कर सकता है परंतु जो वस्तुएँ अंधेरे में, पर्दे के पीछे, कोठरी में बंद रखी हैं उनके बारे में हर किसी को आसानी से पता नहीं लग सकता। बहुत खोजने वाले, खासतौर से ध्यान देने वाले, तीक्षा परीक्षक बुद्धि वाले लोग ही उन अप्रकट वस्तुओं के संबंध में थोडा- थोडा जान सकते हैं, सर्वसाधारण के लिए वह जानकारी सुलभ नहीं है। दुनियाँ में हर एक मनुष्य के सामने उसकी निजी परिस्थितियाँ और समस्याएँ भी पर्याप्त मात्रा में सुलझाने को पडी रहती हैं, सारा समय लगाकर वे ही कठिनाई से हल हो पाती हैं, इतनी फुरसत किसे है जो दूसरों को गहराई से देखकर तब उस पर कुछ मत निश्चित करे। आमतौर से यही होता है कि जो बात जिस रूप में सामने आ गई, उसे वैसे ही रूप में मान लिया गया। डॉक्टर लोग अपनी दुकानों को सजाने के लिए खाली बोतलों में रंगीन पानी भर कर रख लेते हैं, ग्राहक उन्हें दवाएँ ही समझते हैं, किसे इतनी फुरसत है कि उन बोतलों की जाँच करता फिरे कि इनमें पानी है या दवा? कोई कोई कंजूस लोग बहुत धन-दौलत जमा किए होते हैं,
…. क्रमशः जारी
✍🏻 पं श्रीराम शर्मा आचार्य
📖 आंतरिक उल्लास का विकास पृष्ठ ३०
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