जिस बात को हम नहीं चाहते हैं और देवगति से वह हो जाती है, उसके होने पर भी जो दुखी…
‘मनुष्य−जन्म’ भगवान् का सर्वोपरि उपहार है। उससे बढ़कर और कोई सम्पदा उसके पास ऐसी नहीं है, जो किसी प्राणी को…
इस संसार में अनेक प्रकार के पुण्य और परमार्थ हैं। दूसरों की सेवा-सहायता करना पुण्य कार्य है, इससे कीर्ति, आत्मसंतोष…
कोई भी मनुष्य इसलिए बड़ा नहीं कि वह अधिक से अधिक सांसारिक पदार्थों का उपभोग कर सकता है। अधिक से…
प्रकृति का वह अनिवार्य नियम है, कि जिसको आप जैसा समझते हैं कि वह आपको वैसा ही समझता है, भले…
मित्रो ! उपासना का मुख्य उद्देश्य है ईश्वर के सान्निध्य को प्राप्त करना। जप,तप,पूजा, अर्चा,ध्यान आदि जो कुछ भी किया…
चेहरे के सौन्दर्य को देखकर अनेक लोग प्रभावित होते हैं। पर नम्रता भी सौन्दर्य से किसी प्रकार कम आकर्षक और…
यद्यपि सम्पूर्ण भीतरी शत्रुओं- माया, मोह, ईर्ष्या, काम, लोभ, क्रोध इत्यादि का तजना कठिन है, तथापि अनुभव से ज्ञान होता…
विश्वास कीजिये कि वर्तमान निम्न स्थिति को बदल देने की सामर्थ्य प्रत्येक मनुष्य में पर्याप्त मात्रा में विद्यमान है। आप…
आप यह उद्देश्य सामने रखिये कि परिवार के प्रत्येक सदस्य को जीवनरक्षक पदार्थ और निपुणता दायक वस्तुएँ पर्याप्त परिणाम में…